नवरात्र का पवित्र पर्व जहां एक ओर माता की आराधना के रूप में देखा जाता है, वहीं जिन परिवारों में छोटे बच्चे होते हैं वहां उनका मुंडन भी कराया जाता है. वैसे तो नवरात्र में बाल कटाने या नाखून काटना वर्जित माना जाता है किंतु नवरात्र खासतौर पर शारदीय में बच्चों का मुंडन कराने की मान्यता है मुंडन को चूड़ाकर्म भी कहा जाता है. सनातन धर्म में 16 संस्कारों में से एक है मुंडन संस्कार किंतु मान्यता है कि यह संस्कार चैत्र नवरात्र में नहीं किया जाता है.
किस आयु में कराया जाता है मुंडन
मुंडन कराने की परम्परा प्रत्येक परिवार और क्षेत्र में अलग अलग होती है. कुछ परिवारों में शिशु का मुंडन जन्म के एक वर्ष के भीतर तो कुछ परिवारों में बच्चे की आयु दो वर्ष पूरी होने के बाद तीसरे वर्ष के भीतर कराने की परम्परा है. कुछ परिवारों में पांचवें अथवा सातवें वर्ष में भी मुंडन संस्कार कराया जाता है. आपके घर में भी यदि कोई छोटा बच्चा इस आयु वर्ग का है और आपके यहां नवरात्र में मुंडन संस्कार की परम्परा है तो इस मामले में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि नवरात्र की नवमी तिथि 11 अक्टूबर को है.
क्यों कराया जाता है मुंडन संस्कार
जिस तरह नवरात्र में लोग उपवास, पूजा और प्रार्थना कर आत्मिक और शारीरिक शुद्धि करते हैं उसी तरह मुंडन करवाना भी शारीरिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिशु के सिर पर उगने वाले बालों को पूर्व जन्म के कर्मों से जोड़ कर देखा जाता है. ऐसे में मुंडन कराने और बालों का विसर्जन करने से बच्चे को पूर्व जन्म के कर्मों से मुक्ति मिल जाती है. यह आंतरिक रूप से एक नई शुरुआत का संकेत होता है. माना जाता है कि मुंडन संस्कार से बच्चे को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सामान्य तौर पर मां या बुआ की गोद में बच्चे को लिटा कर मुंडन कराया जाता है और फिर बच्चे के बालों को आटे की एक लोई के भीतर लपेट कर गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में विसर्जित किया जाता है. मीरजापुर स्थित विंध्यवासिनी सहित अन्य बहुत से देवी मंदिरों में इस कर्म को किया जाता है. बच्चे के बाल उतारने के बाद उसके सिर को गंगाजल से धुलवाया कर हल्दी का लेप लगाया जाता है. हल्दी का लेप एंटीसेप्टिक का कार्य करता है.
मुंडन कराने के वैज्ञानिक कारण
शारदीय नवरात्र में मुंडन कराने के वैज्ञानिक कारण भी हैं. सामान्य तौर पर शारदीय नवरात्र के बाद से ठंड शुरु हो जाती है और मौसम में बदलाव होने लगता है. ऐसे में बच्चों के मुंडन करवाने से सर्दियों में बच्चों को सीधी धूप सिर पर मिलती है. सिर पर धूप लगने से बच्चे के मस्तिष्क को सीधे तौर पर विटामिन डी मिलता है और इससे बच्चे का मानसिक विकास तेजी से होता है. चिकित्सकों के अनुसार बच्चे के जन्म के समय सिर की सभी हड्डियां नहीं जुड़ पाती हैं, जिसके कारण सिर काफी मुलायम होता है. इन हड्डियों को जुड़ने में समय लगता है. चिकित्सकीय भाषा में इन्हें एंटीरियल फोर्टिनियल बोलते हैं जिनके नीचे ब्रेन होता है. सिर मुलायम होने के कारण ही सिर पर हाथ रखने की मनाही की जाती है. बहुत छोटे बच्चों के सिर का मुंडन करने से इसीलिए डॉक्टर मना करते हैं क्योंकि सिर पर रेजर चलाते वक्त चोट लगने का खतरा बना रहता है जिससे ब्रेन इंजरी की भी आशंका रहती है.