Konark Sun Temple : कोणार्क का सूर्य मंदिर समेटे है भगवान श्री कृष्ण के पुत्र का इतिहास, जानिए क्यों यहां पर कुष्ठ रोगी होते है ठीक

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Dharamsthal, VEDEYE WORLD

Konark Sun Temple : विश्व धरोहर में शामिल विश्व विख्यात सूर्य मंदिर उड़ीसा में जगन्नाथ पुरी से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर कोणार्क में स्थापित है, जिसका स्थापत्य देखने के लिए दुनिया भर के लाखों लोग साल भर में आते हैं. रथ के आकार में बना होने के कारण मंदिर और भी आकर्षक हो जाता है. इस मंदिर की एक और विशेषता है कि यहां की मुख्य प्रतिमा पर सुबह उदित होते सूर्य की स्वर्णिम किरणें पड़ती थीं जिसे बाद में पुर्तगाली नाविक उठा ले गए थे. मंदिर के बारे में नोबेल पुरस्कार विजेता कवि एवं कलाकार रविन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था कि यह ऐसी जगह है जहां पत्थर की भाषा के सामने इंसान की भाषा बहुत छोटी लगने लगती है.

श्रीकृष्ण से जुड़ी, मंदिर निर्माण की कहानी

धरोहरों का संरक्षण करने वाली वैश्विक संस्था यूनेस्को ने 1984 में इस मंदिर को विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी है. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग हो गया था. बताते हैं कि साम्ब ने एक बार नारद मुनि के साथ दुर्व्यवहार किया, जिससे नारद जी क्रोधित हो गए और कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया. कुष्ठ रोग के कारण वो बहुत परेशान थे, तो किसी ऋषि ने उन्हें सलाह दी कि मित्रवन में चंद्रभागा नदी के संगम पर भगवान सूर्य की तपस्या करो. उनकी कृपा से ही तुम्हारा रोग ठीक होगा. इसी आधार पर साम्ब उड़ीसा चले गए और वहां सूर्य की आराधना की. सूर्य देव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें स्वस्थ कर दिया. इसके बाद साम्ब के मन में सूर्यदेव का मंदिर निर्माण करने का भाव जागा. कहा जाता है कि जब साम्ब चंद्रभागा नदी में स्नान कर रहे थे, तो उन्हें सूर्यदेव की एक मूर्ति मिली तो उन्होंने मित्रवन में सूर्य मंदिर बनवाया. स्थानीय लोग सूर्य भगवान को बिरंचि नारायण के नाम से भी संबोधित करते हैं. बताते हैं बाद में 13 वीं शताब्दी में इस मंदिर के निर्माण को भव्यता वारंगल प्रदेश के राजा प्रताप रुद्र ने दिलाई. इस भव्य मंदिर के निर्माण में 1200 स्थापत्य शिल्पी अनवरत 16 वर्षों तक कार्य करते रहे. यह भी कहा जाता है कि राजा की मृत्यु होने के कारण मंदिर का ऊपरी हिस्सा अधूरा ही रहा. 

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वास्तुकला का बेहतरीन नमूना

24 पहियों पर टिके इस मंदिर की कलिंग वास्तुकला देखने वालों को हैरत में डाल देती है. सूर्य मंदिर के मुख्य दरवाज़े को गज सिंह द्वार कहा जाता है जिसमें गज मतलब हाथी और सिंह यानी शेर. यहां पत्थर की दो विशाल मूर्तियां हैं जिनमें शेर हाथियों को कुचल रहे हैं.  मंदिर बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बना है. रथ की संरचना में बने मंदिर के सात घोड़े सात दिनों और 12-12 पहिए वर्ष के बारह मास या वर्ष के 24 पक्ष तथा दिन के 24 घंटों का प्रतीक माना जाता है.

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