Yamraj Temple, Mathura : भगवान श्री कृष्ण ने पूरे ब्रज मंडल में अनेकों बाल लीलाएं की हैं, जिन्हें देखने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी कृष्ण भक्त पहुंचते हैं. बाल लीला करते समय सभी देवी देवता अलग-अलग तरीके से उन्हें अपनी आंखों में बसाने के लिए मथुरा वृंदावन पहुंचे थे. बाल लीला की इसी नगरी में मृत्यु के देवता धर्मराज का भी मंदिर हैं, जहां पर वे अपनी बहन के साथ विराजमान हैं. हालांकि यमराज के बहुत कम ही मंदिर हैं किंतु यहां की विशेषता है कि इस मंदिर में वे अपनी बहन यमुना के साथ विग्रह के रूप में उपस्थित हैं.
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है, मंदिर
यमराज जी यहां पर अपनी बहन यमुना जी के साथ विराजमान हैं, जो भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है. मथुरा के विश्राम घाट पर स्थित इस मंदिर की विशेशता है कि जो भाई बहन दीपावली के बाद भैया दूज के दिन यमुना जी में स्नान करने के बाद इस मंदिर में आकर यमराज और यमुना जी का पूजन कर सच्चे हृदय से प्रार्थना करते हैं, उन्हें यम फांस अर्थात मृत्यु के बाद यमलोक जाने से मुक्ति मिल जाती है और सीधे वैकुंठधाम पहुंचते हैं.
मंदिर स्थल का पौराणिक महत्व
कहते हैं भगवान श्री कृष्ण ने जब कंस को मारा तो यमुना के इसी घाट पर कुछ देर बैठ कर आराम यानी विश्राम किया था. तभी से इस घाट का नाम विश्राम घाट पड़ गया. पौराणिक कथा के अनुसार यमराज और यमुना सूर्यदेव की पत्नी संज्ञा के पुत्र पुत्री हैं, किंतु सूर्य के ताप से बचने के लिए जब संज्ञा ने अपने स्थान पर अपनी छाया को सूर्य की सेवा में रख दिया तो सूर्य देव से उनके भी पुत्र पुत्री हुए और उन्हें प्यार करने के कारण यमराज और यमुना जी की उपेक्षा होने लगी. भाई बहन के अलग अलग रहने के कारण भेंट नहीं हो पाती थी. यमुना कई बार भाई यमराज के अपने घर आने का निमंत्रण दे चुकी थीं. उनके आग्रह पर एक बार यमराज अपनी बहन के घर पधारे तो उन्होंने खूब खातिर की. प्रसन्न होकर यमराज ने उनसे वरदान मांगने को कहा. इस पर यमुना ने कहा कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को जो भाई बहन विश्राम घाट पर आकर स्नान करें, उन्हें यम के प्रकोप से मुक्ति मिल जाए. भाई ने कहा आगे से ऐसा ही होगा. स्थानीय आचार्यों का कहना है कि ब्रज के चारो ओर महादेव का वास होने के कारण यम प्रवेश नहीं कर पा रहे थे. बाद में वह कार्तिक शुक्ल द्वितीया को ब्रह्म मुहूर्त में यमुना जी में ब्राह्मणों के स्नान करने के समय वेश बदल कर पहुंचे और अपनी बहन के साथ यमुना में स्नान कर उनके घर पर भोजन किया. बाद में भक्तों ने विश्राम घाट पर ही भाई बहन का मंदिर बनवाया जहां पर यमराज जी का वरद मुद्रा प्रतिमा के साथ यमुना जी की चतुर्भुज मूर्ति है जिनके एक हाथ में भोजन का थाल, दूसरे हाथ में कमल का फूल, तीसरे हाथ में टीका और चौथे हाथ में भाई से वरदान लेते हुए दर्शाया गया है. यमुना जी के विश्राम घाट पर स्नान करने वाले भाई बहन मंदिर के दर्शन अवश्य करते हैं.