कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन जहां एक ओर भाई बहन के प्यार को अटूट बनाने का कार्य किया जाता है वहींं इस दिन भगवान चित्रगुप्त के साथ ही उनका प्रतीकात्मक चिन्ह कलम दवात का पूजन भी किया जाता है. भगवान चित्रगुप्त को कायस्थ समाज का संस्थापक माना जाता है, कलम, दवात के साथ ही इस दिन बही खाता की पूजा भी की जाती है. मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से बुद्धि, विद्या तो मिलती ही है, लेखन में महारत हासिल होती है.
चित्रगुप्त जी के जन्म की कथा
स्कंद पुराण के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी के सामने धर्मराज यमराज ने उपस्थित होकर कहा, हे प्रभु, मेरा कार्य इतना अधिक बढ़ गया है कि उसे अब अकेले संभालना मुश्किल हो रहा है. मुझे कोई ऐसा सहयोगी दीजिए जो धार्मिक, न्यायवादी, बुद्धिमान, लेखा कर्म में निपुण और वेद शास्त्रों का ज्ञाता हो. इसके बाद ब्रह्मा जी ध्यान मग्न हो गए और जब आंख खुली तो सामने कलम दवात लिए एक पुरुष को देख उनका परिचय पूछा. सामने खड़े पुरुष ने हाथ जोड़ कर कहा, हे प्रभु मैं अपने माता पिता को तो नहीं जानता किंतु आपके शरीर से मेरी उत्पत्ति हुई है. मेरा नामकरण कर मुझे मेरा काम बताएं. इस पर ब्रह्मा जी ने कहा, तुम मेरी काया से उत्पन्न हुए हो इसलिए तुम्हारा नाम कायस्थ चित्रगुप्त रहेगा, तुम्हें यमराज के सखा बन कर मनुष्यों के कर्मों का लेखा जोखा रखना होगा. इस तरह चित्रगुप्त जी भी ब्रह्मा जी के मानस पुत्र माने गए. बाद में ब्रह्मा जी ने सुशर्मा ऋषि की कन्या इरावती और मनु की कन्या दक्षिणा से उनका विवाह कराया जिनसे क्रमशः आठ व चार पुत्र हुए.
इस तरह करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा
भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने के लिए प्रातःकाल स्नान आदि करने के बाद एक साफ चौकी पर कपड़ा बिछा कर भगवान चित्रगुप्त के चित्र को स्थापित करें. सबसे पहले गणेश जी की आराधना कर उनका पूजन करें फिर रोली, अक्षत, पुष्प, माला और मिष्ठान्न अर्पित करने के साथ ही एक कोरे कागज पर नए पेन से श्री गणेशाय नमः लिखें और श्री यमराज देवाय फिर श्री चित्रगुप्त देवाय नमः लिखें. ब्रह्मा विष्णु और महेश के साथ ही दुर्गा जी और काली जी की भी नमः लिख कर नीचे सीता राम और राधा कृष्ण भी लिखें. बाद में जिस पेन से कागज पर लिखा है, दोनों को ही पूजन करें भगवान के चरणों में रख दें. परिवार के सभी लोगों को ऐसा करने के साथ ही अपनी अज्ञानता के कारण हुई गलतियों की क्षमा मांगते हुए विद्या, बुद्धि, व सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. मान्यता है इस तरह पूजी गई कलम प्रभावी हो जाती है और उस कलम से लिखा गया कार्य सिद्ध हो जाता है.
व्यापारी लेखाबही का करें पूजन
वैसे तो व्यापारी वर्ग भी सरकार की पद्धति के अनुसार फाइनेंशियल ईयर को अप्रैल से मार्च ही मनाता है और इस नाते अप्रैल में नए खाते बनाए जाते हैं लेकिन इस दिन भी लेखा खातों को पूजन अवश्य ही करना चाहिए. कहते हैं इस दिन भगवान चित्रगुप्त और बसी बसना का पूजन करने से व्यापार में तरक्की होती है.