DEEPAWALI 2025: पारंपरिक दीपावली छवि का क्या है महत्त्व ? स्वास्तिक, ओम और देवी-देवताओं से सजी सांस्कृतिक धरोहर में छिपा दिवाली का असली संदेश और परिवार की परंपराएँ

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DEEPAWALI 2025: बचपन की दीपावली की यादें आज भी दिल में बसी हैं, जब माँ और मामा को दीपावली के लिए विशेष चित्र बनाते हुए देखता था। वे इसे पेंसिल से कागज पर उकेरते थे और दीपावली के दिन इस चित्र की भी पूजा होती थी, ठीक वैसे ही जैसे श्री गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियों की। माँ बताती हैं कि पहले यह चित्र कागज पर नहीं, बल्कि पूजा घर की दीवार पर गेरू या कोयले से बनाया जाता था। यह चित्र मात्र एक कलाकृति नहीं, बल्कि दीपावली के वास्तविक अर्थ को व्यक्त करता था। दीपावली का यह भावनात्मक पक्ष और इसकी गहरी परंपराएं हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर का साक्षात्कार कराती हैं।

दीपावली की सार्वभौमिकता

दीपावली का यह पर्व केवल एक धर्म या वर्ग विशेष तक सीमित नहीं है। यह हर उस व्यक्ति का पर्व है जो ज्ञान और समृद्धि की प्राप्ति चाहता है और उसे पूरे समाज में बांटना चाहता है। दीपावली हमारे समाज में समानता और एकता का प्रतीक है, जो प्रत्येक वर्ग के लिए खुशी, समृद्धि और प्रेरणा का संदेश देती है। चाहे हम कुम्हार से दिए खरीदें, हलवाई से मिठाइयां या बुनकर से कपड़े, इस त्योहार में हर वर्ग का योगदान होता है। इससे यह संदेश मिलता है कि दीपावली का प्रकाश केवल हमारे घरों में नहीं बल्कि हर वर्ग, हर समाज में उजाला फैलाता है।

स्वास्तिक और ओम का महत्व

दीपावली के इस चित्र की शुरुआत स्वास्तिक और ओम से होती है, जो शुभता और आध्यात्मिकता के प्रतीक हैं। स्वास्तिक सकारात्मक ऊर्जा और मंगलमय जीवन का प्रतीक है, जबकि ‘ॐ’ हमारे अस्तित्व की मूल ध्वनि और आत्मिक शांति का प्रतिनिधित्व करता है। दीपावली पर इन प्रतीकों का उपयोग हमारे भीतर की नकारात्मकता को समाप्त कर नई ऊर्जा और चेतना को जन्म देने का माध्यम है। ये प्रतीक हमें यह भी याद दिलाते हैं कि दीपावली केवल बाहरी जगमगाहट का पर्व नहीं, बल्कि आंतरिक चेतना के जागरण का भी समय है।

विभिन्न वर्गों का सांकेतिक चित्रण

इस चित्र में समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व किया गया है – बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, परिवार से लेकर अकेले व्यक्तियों तक। इस चित्रण से यह स्पष्ट होता है कि दीपावली समाज के सभी वर्गों के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण है। यह पर्व हमारे जीवन में एकता और सद्भावना का संदेश फैलाता है और दिखाता है कि कैसे यह पर्व हर उम्र, वर्ग और व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

श्री गणेश और लक्ष्मी जी का आशीर्वाद

चित्र में श्री गणेश और माता लक्ष्मी की उपस्थिति विशेष महत्व रखती है। श्री गणेश जी बुद्धि, सफलता और सौभाग्य के दाता हैं, जबकि लक्ष्मी जी धन और समृद्धि की देवी हैं। दीपावली पर इनका पूजन कर हम जीवन में उन्नति और खुशहाली की कामना करते हैं। इस चित्र में गणेश-लक्ष्मी को विभिन्न प्रकार के घरों के साथ दिखाया गया है – बच्चों का घर, नवदंपति का घर और दूर अपने परिवार से अलग रहने वाले लोगों का घर। यह संदेश देता है कि चाहे परिवार का आकार कुछ भी हो, दीपावली का यह पर्व हर किसी के जीवन में खुशहाली का संदेश लेकर आता है।

परिवार की परंपराओं और त्योहारों का संरक्षण

हमारे परिवारों में दीपावली पर बनाई जाने वाली छवियाँ एक अनमोल धरोहर हैं। पहले लोग पेंसिल और कोयले से यह चित्र बनाते थे, जिससे यह परंपरा परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती थी। इस कला में समय के साथ कमी आई है, लेकिन यह हमारे त्योहार की मूल भावना को अभिव्यक्त करती है। दीपावली पर इस प्रकार की चित्रकला के माध्यम से हम न केवल अपने पूर्वजों की परंपराओं को याद करते हैं, बल्कि उसे सहेजने का प्रयास भी करते हैं। यह हमारे भीतर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का प्रयास है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती आ रही है।

शिक्षा, धन और समृद्धि का संदेश

दीपावली के इस पारंपरिक चित्रण के माध्यम से शिक्षा, धन, और समृद्धि का संदेश हर परिवार तक पहुंचता है। इस पर्व के माध्यम से समाज में नई दिशा देने का प्रयास होता है। हर घर अपने तरीके से दीपावली मनाता है, लेकिन इस त्योहार का असल उद्देश्य समाज के हर कोने में प्रकाश और समृद्धि का संदेश पहुंचाना है। यह चित्रण हमें यह भी सिखाता है कि दीपावली का यह पर्व केवल एक दिन की खुशियों के लिए नहीं, बल्कि जीवन में समृद्धि और ज्ञान का संचार करने के लिए है।

दीपावली का पर्व केवल रौशनी और सजावट का ही नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक मूल्यों का प्रतीक है। यह हमें हमारे अतीत से जोड़ता है और हमें याद दिलाता है कि कैसे हमारे त्योहार हमारे जीवन के मूलभूत अंग हैं। इस पारंपरिक चित्रण में दीपावली का असल अर्थ छिपा है – यह पर्व हमें जीवन में प्रकाश और समृद्धि की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करता है।

इसलिए, इस दीपावली पर इन परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजते हुए, हम अपने जीवन में नई ऊंचाइयों तक पहुँचने की कामना करते हैं। दीपावली का यह पर्व हमारे अंदर के अंधकार को दूर कर, हमें नई दिशा दिखाने के लिए है, जो समृद्धि, ज्ञान और सद्भावना से परिपूर्ण हो।

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