कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली का मुख्य पर्व दीपोत्सव गणेश, लक्ष्मी और कुबेर पूजा के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन लक्ष्मी जी का प्रादुर्भाव हुआ था, इसलिए उनकी पूजा की जाती है। लेकिन उनके पहले गणेश जी और फिर कुबेर जी की पूजा करने के पीछे क्या औचित्य है, इसे जानने से पहले पूजन का मुहूर्त और विधि के बारे में भी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
दीपावली पूजन का मुहूर्त
दीपावली का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है। इस बार 31 अक्टूबर को सांयकाल 6:15 बजे से लेकर 8:12 बजे तक गणपति के साथ लक्ष्मी और कुबेर जी का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। निशीथ काल की पूजा रात में 12:44 बजे से प्रातः 3:00 बजे तक की जा सकती है।
दीपावली पूजन विधि
पूजा स्थल को पहले अच्छे से साफ करें। फिर एक लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर जी की प्रतिमाओं को रखें। यदि माता सरस्वती और काली जी की प्रतिमा हो, तो उन्हें भी विराजमान करें। पूजन के पहले कलश स्थापना करना न भूलें। इसके लिए मिट्टी के कलश पर मौली बांधकर आम के पत्ते रखें और कलश में सुपारी, दूर्वा, कुछ अक्षत और सिक्का रखें। कलश पर स्वास्तिक बनाने के बाद ऊपर एक बड़े से मिट्टी के दीये को जलाएं।
कलश पूजन के बाद सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। उन्हें वस्त्र आदि पहनाकर माथे पर चंदन लगाएं और दूर्वा अर्पित करने के साथ ही भोग लगाएं। इसके बाद माता लक्ष्मी का पूजन करें। पुष्प और माला आदि चढ़ाने के बाद सफेद मिठाई, लइया, खील, गट्टा आदि का भोग लगाएं। फिर कुबेर जी की पूजा करें। यदि माता सरस्वती और काली जी की प्रतिमाएं हों, तो उनका पूजन भी करें। विधि-विधान से सभी लोग पूजा कर लें, तो गणपति के साथ ही लक्ष्मी जी और कुबेर जी की आरती मिलकर करें। पूजन के बाद 11 या 21 सरसों के तेल के दीपक जलाकर एक-एक दीपक चौकी के बाएं और दाएं रखें, और किचन, वॉशरूम, घर के मुख्य द्वार आदि पर भी दीपक सजाएं। पूजा घर में घी का दीपक रातभर जलना चाहिए। निशीथ काल में मां की विशेष पूजा करनी चाहिए।
लक्ष्मी जी संग गणेश और कुबेर की पूजा क्यों
यूं तो गणेश जी माता लक्ष्मी के लिए पुत्र के समान हैं, फिर भी सबसे पहले उन्हीं की पूजा की जाती है। दरअसल, गणेश जी विघ्नहर्ता होने के साथ ही बुद्धि के प्रदाता भी हैं। उनका पूजन करने से सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं, और लक्ष्मी जी की पूजा करने से उनकी कृपा रूप में मिलने वाले धन का सदुपयोग करने के लिए भी गणपति से बुद्धि की कामना की जाती है। सबसे पहले गणेश जी की पूजा इसलिए भी की जाती है क्योंकि उनके पिता भगवान शंकर ने उन्हें प्रथम पूज्य का आशीर्वाद दिया था। बिना उनकी पूजा के किसी भी देवी-देवता की पूजा पूर्ण नहीं हो सकती है। कुबेर जी तो देवताओं के कैशियर हैं, जिसके नाते लक्ष्मी जी का निर्देश मिलने पर ही वह किसी को धन देते हैं। इस धन के स्थायित्व और सुरक्षा का कार्य भी कुबेर ही करते हैं।