Dhanteras 2025 : धनतेरस  का पर्व रह जाएगा अधूरा!, अगर इस खास दिन नहीं किया इन भगवान का पूजन और खरीदारी 

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धनतेरस का पर्व वस्तुतः धन की देवी मां लक्ष्मी के अतिरिक्त यमराज और भगवान धनवंतरी के पूजन का भी पर्व है.

Dhanteras 2025 : पांच दिन तक चलने वाले पर्व दीपावली का प्रारम्भ धनतेरस से होता है. धनतेरस का पर्व वस्तुतः धन की देवी मां लक्ष्मी के अतिरिक्त यमराज और भगवान धनवंतरी के पूजन का भी पर्व है. अधिकांश लोग इसे बर्तन और ज्वैलरी की खरीदारी तक ही सीमित मानते हैं जो सरासर गलत है. खरीदारी तो आवश्यक है ही लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए कि इस दिन और किसकी पूजा तथा किस तरह से की जाती है. यदि इनकी पूजा नहीं की तो धनतेरस का पर्व अधूरा ही माना जाएगा.

आरोग्य के देव का प्राकट्य

समुद्र मंथन के दौरान जो रत्न निकले थे उनमें आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि का कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन प्राकट्य हुआ था. इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है जिनकी चार भुजाओं में से दो में शंख और चक्र तथा अन्य दो भुजाओं में औषधि और अमृत कलश है. इन्हें पीतल का धातु प्रिय है इसलिए इस दिन पीतल के बर्तन खरीदने की परम्परा सदियों से चली आ रही है. आरोग्य के देवता होने के कारण ही इन्हें आयुर्वेद का जनक भी माना जाता है और आयुर्वेद चिकित्सा करने वाले विश्व भर के वैद्य इस दिन धूमधाम से भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाते हैं. 

धनतेरस के दिन पूरे विधि विधान से यमराज का भी पूजन किया जाता है इस दिन व्रत रखने का भी महात्म्य है

न भूलें यमराज का पूजन करना 

धनतेरस के दिन पूरे विधि विधान से यमराज का भी पूजन किया जाता है. इस दिन व्रत रखने का भी महात्म्य है. संध्याकाल में घर घर के दक्षिण भाग में दक्षिणाभिमुख होकर आटे के पात्र में चार मुख का दीपक जलाना चाहिए. दीपदान भी करना चाहिए. धनतेरस के दिन यमराज को प्रसन्न करने के लिए यमुना नदी में स्नान भी किया जाता है. यमुना स्नान कर दीपदान करने वालों की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है. जो लोग यमुना जी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो वह घर पर ही यमुना जी का स्मरण करके स्नान कर सकते हैं. यमराज और देवी यमुना दोनों सूर्यदेव की संतानें हैं. इसी कारण दोनों भाई बहनों में अगाध प्रेम है. यमुना जी की आराधना करने वालों से यमराज प्रसन्न होते हैं. असामायिक मृत्यु से मुक्ति को भी एक प्रकार का धन ही मानना चाहिए. अकाल मृत्यु का निवारण होना भी किसी बड़ी समृद्धि से कम नहीं है.

चांदी में माना जाता है मां लक्ष्मी का वास

धनतेरस के दिन धन और ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी के निमित्त चांदी के बर्तन खरीदे जाते हैं और उन्हें घर पर लाकर पंचोपचार द्वारा पूजन किया जाता है. पंचोपचार यानी श्री गणेश जी, शंकर भगवान,  माता दुर्गा, विष्णु भगवान और सूर्यदेव का गंध, पुष्प,धूप, दीप एवं नैवेद्य से पूजन. माना जाता है कि धनतेरस के दिन चांदी से बने बर्तन या वस्तु खरीदने से मां लक्ष्मी वहां प्रसन्न होकर चिर काल तक स्थिर बनी रहती हैं क्योंकि चांदी में लक्ष्मी जी का वास होता है. इसलिए चांदी की वस्तुएं खरीदने का विशिष्ट महत्व है.  चांंदी के अतिरिक्त स्वर्णाभूषण भी खरीदे जाते हैं. 

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