भगवान विष्णु का दूसरा अवतार भी विचित्र प्रकार का और विचित्र परिस्थितियों में हुआ।
Varaha Avatar:भगवान विष्णु का दूसरा अवतार भी विचित्र प्रकार का और विचित्र परिस्थितियों में हुआ। स्वायंभुव सृष्टि के पहले मनु थे, प्रलय में संसार में सब कुछ डूब गया, तो उन्हें सृष्टि की चिंता हुई क्योंकि ब्रह्मा जी ने उन्हें ही सृष्टि रचना का दायित्व सौंपा था। पृथ्वी सहित सारी सृष्टि को डूबता देख मनु ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की कि आप मेरे और मेरी प्रजा के रहने के लिए पृथ्वी का उद्धार करें ताकि मैं आपकी आज्ञा का पालन कर सकूं।
पृथ्वी को प्रलय से बचाने को चिंतित हुए ब्रह्मा जी
स्वायंभुव मनु की बात सुनने के बाद ब्रह्मा जी को पृथ्वी बचाने की चिंता हुई तो वो सीधे सर्वशक्तिमान श्री विष्णु हरि के पास पहुंचे और उनको पूरी समस्या बताकर निवारण करने का उपाय पूछा। जिस समय ब्रह्मा जी श्री विष्णु को समस्या बता रहे थे, ठीक उसी समय ब्रह्मा जी की नाक से अंगूठे के बराबर का वराह अर्थात जंगली सुअर निकला और देखते ही देखते उसका आकार बढ़ने लगा। बढ़ते हुए उसका स्वरूप एक पर्वत के समान हो गया और हाथी की तरह बहुत जोर से चिंघाड़ा। उसका पूरा शरीर पत्थर की तरह बहुत ही कठोर था। उसकी त्वचा पर बड़े-बड़े कांटेदार बाल थे। दाढ़ी के बाल भी बिल्कुल सफेद रंग की थी और उसकी आंखों से तेज निकल रहा था। इसके बाद उस पर्वताकार सुअर ने प्रलय के कारण हर तरफ फैले जल में प्रवेश किया, जिसके लिए उससे किसी ने कहा नहीं बल्कि वह स्वयं ही ऐसा कर रहा था।
विष्णु अवतार ने इस तरह हिरण्याक्ष को मारा
उसके पैरों के खुर बहुत ही पैने थे, जिनसे जल को चीरते हए वह जल के पार कर रसातल में पहुंचा जहां सभी जीवों को आश्रय देने वाली पृथ्वी डूब रही थी और उसमें रहने वाले जीव व्याकुल होकर बचाओ बचाओ की आवाज लगा रहे थे। लेकिन यह क्या हुआ, कुछ ही क्षणों में वह सुअर पृथ्वी को अपनी सफेद रंग कठोर दाढ़ पर लेकर बाहर आया। दरअसल यह और कोई नहीं श्री विष्णु का दूसरा अवतार वराह था। इस बात की जानकारी महापराक्रमी हिरण्याक्ष को हुई की विष्णु अवतार वराह पृथ्वी को बचा रहे हैं तो उसने जल के भीतर ही उन पर गदा से प्रहार कर आक्रमण किया। वराह तो भगवान थे और वे पृथ्वी तथा उस पर रहने वाले लोगों को बचाने आए थे तो बचाने के साथ ही उन्होंने जल के भीतर ही हिरण्याक्ष को भी मार डाला। जैसे ही वे पृथ्वी को अपनी दाढ़ों में धारण करते हुए बाहर निकलने ब्रह्मा जी सहित अन्य सभी देवता उनकी स्तुति करने लगे।