Kach Learn Sanjeevani : दैत्यों ने बृहस्पति देव के पुत्र की दो बार हत्या की किंतु गुरु शुक्राचार्य ने जीवित कर दिया, जानिए तीसरी बार कैसे की हत्या और फिर कैसे जी उठा
संजीवनी विद्या के जानकार शुक्राचार्य ने अपनी पुत्री देवयानी के आग्रह पर देवगुरु बृहस्पति के पुत्र को जीवित कर दिया।
Kach Learn Sanjeevani : देवताओं के आग्रह पर देवगुरु ब्रहस्पति का पुत्र कच दैत्य गुरु शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या सीखने तो चला गया किंतु जैसे ही दैत्यों को उसके उद्देश्य की जानकारी हुई, उन्होंने उसकी हत्या कर दी। संजीवनी विद्या के जानकार शुक्राचार्य ने अपनी पुत्री देवयानी के आग्रह पर उसे जीवित कर दिया। दैत्यों ने कुछ समय के बाद दूसरी बार भी उसकी हत्या की किंतु दैत्य गुरु ने इस बार भी उसे जीवित कर दिया।
असुरों ने कच को मारने का निकाला नया तरीका
दो बार हत्या करने के बाद भी कच के जीवित होने से असुरों की चिंता बढ़ गयी। वो नहीं चाहते थे कि जो विद्या उनके गुरु के पास है उसका कोई जानकार देवताओं के पक्ष में ही हो जाए। इससे उनका एकाधिकार भी समाप्त हो जाता और देवता भी उतने ही शक्तिशाली बन जाते। असुर कहां हार मानने वाले थे, उन्होंने तीसरी बार कच की हत्या करने के लिए बिल्कुल नया तरीका निकाला। इस बार उन्होंने कच के शरीर को कई टुकड़ों में काट डाला और फिर उन टुकड़ों को आग में जला दिया। राख को उन लोगों ने एक विशेष प्रकार की शराब जिसे वारुणी कहते हैं में मिला कर अपने गुरु को पिला दिया।
कच के न मिलने पर व्याकुल हुई देवयानी
दिन भर न दिखने पर शाम को देवयानी ने अपने पिता शुक्राचार्य से पूछा, पिता श्री, कच तो फूल लेने गया था अब संध्या हो चुकी है अभी तक क्यों नहीं लौटा। कहीं फिर से तो नहीं मर गया, उसने कहा मैं बिना कच के नहीं जीवित रह सकती हूं। शुक्राचार्य बोले बेटी मैं क्या करूं, असुर उसे बार-बार मार डालते हैं। पुत्री के करुण आग्रह को शुक्राचार्य नहीं ठुकरा सके और संजीवनी विद्या का प्रयोग करते हुए कच का नाम लेकर पुकारा। कच ने भयभीत होकर उनके पेट से ही अपनी स्थिति बतायी।
कच ने सीखी संजीवनी विद्या
शुक्राचार्य अपने शिष्य कच से बोले, बेटा तुम सिद्ध हो, मैं ही नहीं देवयानी भी तुम्हारी सेवा से प्रसन्न हैं। यदि तुम इंद्र नहीं हो तो मैं तुम्हें संजीवनी विद्या सिखाता हूं। तुम ब्राह्मण हो तभी तो मेरे पेट में अभी तक जीवित हो क्योंकि यदि इंद्र होते तो कब का मर चुके होते। विद्या सीख कर तुम मेरा पेट फाड़ कर बाहर निकल आओ। तुम मेरे पेट में इतनी देर रह चुके हो इसलिए सुयोग्य पुत्र के समान हो। कच ने विद्या सीखी और बाहर आकर गुरु शुक्राचार्य को उसी विद्या का प्रयोग करते हुए जीवित कर दिया। उसने प्रणाम करते हुए कहा, जिसने मेरे कानों में संजीवनी विद्या रूपी अमृत डाला हो वही मेरे माता पिता हैं।