Shashishekhar Tripathi
दीपावली का पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे हर कोई हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है. यह त्योहार न सिर्फ अमावस्या की रात को रोशनी से भर देता है, बल्कि हमारे जीवन से भी नकारात्मकता को दूर करता है और नई ऊर्जा का संचार करता है. दीपावली का असली संदेश यह है कि नकारात्मकता को बाहर निकालकर सकारात्मकता के दीप जलाए जाएं.
दीपावली की तैयारियां: घर की सफाई और सजावट
हर घर में दीपावली की तैयारियां जोरों-शोरों से होती हैं. इस पावन पर्व से पहले लोग अपने घरों को साफ-सुथरा और सुसज्जित करते हैं. घर में अगर वाइटवॉश नहीं कराया जा रहा हो, तो भी विशेष रूप से सफाई अभियान शुरू हो जाता है. घर की हर वस्तु को व्यवस्थित किया जाता है और अनुपयोगी वस्तुओं को बाहर निकाल दिया जाता है, ताकि नकारात्मक ऊर्जा भी बाहर निकल सके.
नए वस्त्र: प्रसन्नता का प्रतीक
दीपावली के दिन नए वस्त्र पहनने की परंपरा का विशेष महत्व है. हर कोई अपनी सामर्थ्य के अनुसार नए कपड़े पहनता है, और अगर सभी के लिए नए वस्त्र संभव न हों, तो बच्चों को अवश्य ही नए कपड़े पहनाए जाते हैं. यह परंपरा नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का प्रतीक है.
लक्ष्मी और गणेश पूजन: समृद्धि का आह्वान
दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जिसे ‘कमला जयंती’ या ‘लक्ष्मी जयंती’ के नाम से भी जाना जाता है. मत्स्य पुराण के अनुसार, लक्ष्मी जी की आराधना और आरती करने को दीपावली कहा जाता है. अमावस्या की रात पूर्ण अंधकारमय होती है और इस शांत माहौल में ‘निशीथ काल’ में लक्ष्मी जी की उपासना की जाती है. इस समय को धन और समृद्धि प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
पाँच दिवसीय दीपावली उत्सव: धन से लेकर भाई-बहन के प्रेम तक
दीपावली सिर्फ एक दिन का पर्व नहीं है, बल्कि यह पांच दिनों तक मनाया जाने वाला उत्सव है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है.
धनतेरस: इस दिन कुबेर और धन्वंतरि जी की उपासना की जाती है, ताकि धन और सेहत का आशीर्वाद प्राप्त हो.
नरक चतुर्दशी: इस दिन यमराज, वरुण और श्री हनुमान जी की पूजा की जाती है, जिससे मृत्यु भय और संकटों से मुक्ति मिल सके.
दीपावली: लक्ष्मी जी और गणेश जी का पूजन होता है, ताकि जीवन में समृद्धि और सुख-शांति का वास हो.
गोवर्धन पूजा: इस दिन भगवान गोवर्धन और अन्न देवता की पूजा की जाती है, जिससे कृषि और खाद्य सामग्री में वृद्धि हो.
भाई दूज: यह दिन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह को समर्पित होता है, जहाँ भाई यम और बहन यमुना की पूजा का विशेष महत्व है.
समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर
दीपावली का असली अर्थ है, नकारात्मकता को दूर करके जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का स्वागत करना. इस पर्व में सफाई, सजावट और पूजा-पाठ के माध्यम से न केवल हमारे घरों को, बल्कि हमारे जीवन को भी नए तरीके से सुसज्जित किया जाता है. इस पर्व का संदेश है कि हम अपनी पुरानी बुरी आदतों को त्याग कर, नए दृष्टिकोण और नई ऊर्जा के साथ जीवन में आगे बढ़ें.
दीपावली का पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में प्रकाश और प्रसन्नता का महत्व कितना अधिक है. यही कारण है कि यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि जीवन की सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग भी दिखाता है.



