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पांचाल पर अचानक आक्रमण देख राजा द्रुपद ने क्या किया।

Dharma :  पांचाल पर अचानक आक्रमण देख राजा द्रुपद ने क्या किया, जानिए वहां के नागरिक क्या घरों में दुबक गए या मोर्चे पर आए

Dharma : जब द्रोणाचार्य को महसूस हुआ कि उनके सभी राजकुमार शिष्य अस्त्रविद्या में निपुण हो चुके हैं, तो उन्होंने गुरुदक्षिणा लेने का निश्चय किया। उन्होंने सभी राजकुमारों को अपने पास बुलाया और कहा कि अब तुम लोग निपुण हो गए हो इसलिए मुझे दक्षिणा दो। सभी शिष्यों ने कहा, गुरुदेव आप आज्ञा तो करिए। गुरु द्रोणाचार्य बोले, तुम लोग पांचाल राज द्रुपद से युद्ध करो और उसे पकड़ कर मेरे पास ले आओ। राजकुमारों ने उनकी आज्ञा मानी और रथों पर अस्त्रों के साथ सवार हो पांचाल को चल पड़े। 

पांडवों ने कहा पहले कौरव आक्रमण करें

दुर्योधन, कर्ण, युतुत्सु, दुःशासन और दूसरे राजकुमार पहले मैं आक्रमण कर पकड़ूंगा बोलकर आपस में कंपटीशन करने लगे। सारे राजकुमारों ने पहले पांचाल सीमा में प्रवेश किया और फिर सीधे जा पहुंचे राजधानी। पांचाल राज द्रुपद ने भी तेजी से किले से निकल कर अपने भाइयों के साथ आक्रमणकारियों पर बाणों की वर्षा शुरु कर दी। जिस समय गुरु द्रोण के चरण स्पर्श कर राजकुमार रवाना हो रहे थे, अर्जुन ने उनसे कहा था कि पांचाल राज को पकड़ना इनके बस की बात नहीं। पहले इन लोगों को पराक्रम दिखा लेने के बाद हम लोगों की बारी आएगी। बस इसी कारण राजधानी में नगर से कुछ पहले ही पांडव अपने रथों के साथ रुक गए। गुरु द्रोण भी उनके साथ ही रुक गए।  

द्रुपद के बाणों को न झेल सके कौरव

द्रुपद के बाणों की बौछार ने कौरवों को चकित कर दिया। उनकी फुर्ती को देख वे सब अचम्भे में थे। कौरव भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे फिर भी द्रुपद अकेले ही सभी कौरव वीरों का सामना घूम-घूम कर रहे थे। उसी समय पांचाल की राजधानी के साधारण नागरिक और बच्चे बूढ़े तथा महिलाएं भी लाठी मूसल आदि लेकर घरों से निकल पड़े जिनका सामना कौरव नहीं कर सके और रोते चिल्लाते पांडवों के पास भाग आए। कौरवों की पुकार सुन कर पांडवों ने गुरु द्रोणाचार्य को प्रणाम कर रथ पर सवार हो राजधानी की तरफ चल पड़े। अर्जुन ने युधिष्ठर को रोक दिया। नकुल और सहदेव को अपने रथ के चक्कों का रक्षक बनाया। भीमसेन गदा लेकर सेना के आगे आगे चलने लगे। अभी द्रुपद और उनकी सेना के दूसरे वीर कौरवों को पछाड़ कर खुशी मना रहे थे कि तब तक अर्जुन भी अपना रथ लेकर जा पहुंचे और भीषण युद्ध शुरु हो गया।

 

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