कन्या पूजन कराने से वरदान देती है मां भगवती.. कन्याओं को दें गिफ्ट, दुख हो जाएंगे शिफ्ट

0
440

Shashishekhar Tripathi

आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में लोग अपने जीवन के तनाव और संकटों से जूझ रहे हैं. काम का दबाव, आर्थिक समस्याएं, स्वास्थ्य की चिंताएं और रिश्तों में खटास – ये सभी कारण हमारे जीवन में अशांति और तनाव का स्रोत बनते हैं. ऐसे में देवी माँ की कृपा प्राप्त करना और उनके आशीर्वाद से जीवन के संकटों को दूर करना अत्यंत आवश्यक है. देवी माँ का आशीर्वाद पाने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका कन्या पूजन है.

कन्या पूजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह देवी माँ का आशीर्वाद प्राप्त करने का महत्वपूर्ण माध्यम है. जब हम कन्याओं की पूजा करते हैं, तो हम दरअसल देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना कर रहे होते हैं. कहा जाता है कि देवी माँ का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन के सभी संकट और बाधाएं दूर हो जाती हैं साथ ही मानसिक शांति मिलती है.

जीवन के संकटों से मुक्ति का मार्ग

जीवन में समस्याओं का आना स्वाभाविक है, लेकिन उन समस्याओं का सामना करने के लिए देवी माँ की कृपा अत्यंत महत्वपूर्ण है. जब आप कन्या पूजन करते हैं, तो आप माँ भगवती को प्रसन्न करते हैं और उनकी कृपा से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्तियों में वृद्धि होती है. यह पूजा जीवन में आई बाधाओं को दूर करने, मानसिक तनाव को कम करने और समृद्धि प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है.

हमारे शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कन्या पूजन से देवी माँ का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन की हर कठिनाई को हल्का कर देता है. ऐसे समय में, जब पूजा-पाठ के लिए समय निकालना कठिन हो गया है, तब यह अनुष्ठान देवी माँ की कृपा पाने के लिए एक अनमोल अवसर प्रदान करता है.

कितनी कन्याओं की पूजा होनी चाहिए?

कन्या पूजन में कितनी कन्याओं की पूजा करनी चाहिए, इसका कोई निश्चित नियम नहीं है, लेकिन परंपरागत रूप से 2 से 10 वर्ष की 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है. इन कन्याओं का पूजन देवी दुर्गा के नौ रूपों के प्रतीक के रूप में किया जाता है. इन कन्याओं के नाम इस प्रकार हैं:

  1. कुमारी शुद्धता का प्रतीक
  2. त्रिमूर्ति तीन शक्तियों का प्रतिनिधित्व
  3. कल्याणी शुभ और मंगलकारी
  4. रोहिणी समृद्धि और सम्पन्नता
  5. कालिका रौद्र रूप की देवी
  6. शाम्भवी शांति और सुख की देवी
  7. दुर्गा बुराई से रक्षा करने वाली
  8. चण्डिका शक्ति और क्रोध की देवी
  9. सुभद्रा शुभता और सौभाग्य का प्रतीक

अगर किसी के पास 9 कन्याओं को बुलाने की व्यवस्था नहीं हो पाती, तो वे अपनी क्षमता के अनुसार कम कन्याओं का भी पूजन कर सकते हैं. श्रद्धा और समर्पण के साथ किया गया कन्या पूजन हर स्थिति में फलदायक होता है.

कैसे करें कन्या पूजन?

कन्या पूजन एक सरल और श्रद्धापूर्ण अनुष्ठान है, जिसे कुछ विशेष विधियों के अनुसार करना चाहिए:

  1. कन्याओं का आमंत्रण: सबसे पहले, अपने आस-पास के परिवारों से 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को आमंत्रित करें. यदि संभव हो, तो 9 कन्याओं को चुनें क्योंकि वे देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं.
  2. कन्याओं का स्वागत: जब कन्याएं घर आएं, तो उनका स्वागत माँ भगवती के रूप में करें. उन्हें शुद्ध आसन पर बैठाएं और उनके पैर हल्दी मिश्रित जल से धोएं. यह सम्मान और आदर का प्रतीक है.
  3. पूजन सामग्री: कन्याओं का पूजन रोली, अक्षत, मौली, और फूलों से करें.  
  4. भोजन और भेंट: कन्याओं को शुद्ध सात्विक भोजन कराएं. अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें वस्त्र, उपहार या धन भेंट करें. यह देवी माँ को समर्पण का प्रतीक है.
  5. आशीर्वाद प्राप्त करें: पूजा के बाद, कन्याओं के चरण स्पर्श करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें. माना जाता है कि कन्याओं का आशीर्वाद माँ भगवती का आशीर्वाद होता है, जो जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है.

कन्या पूजन: मानसिक शांति और सामाजिक समर्पण

कन्या पूजन केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. यह अनुष्ठान हमें सिखाता है कि हर स्त्री को देवी का स्वरूप मानकर उसका सम्मान करना चाहिए. खासकर आज के समय में, जब कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएं समाज में व्याप्त हैं, कन्या पूजन हमें यह संदेश देता है कि हर कन्या पूजनीय और सम्माननीय है.

कन्या पूजन करने से न केवल देवी माँ की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना भी जागृत होती है. यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करता है.

Website |  + posts

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here