You are currently viewing Dharma :  भीम और दुर्योधन की कुश्ती बंद करा गुरु द्रोण ने रणकौशल का प्रदर्शन करने के लिए किसे रंगमंडप में उतारा
गुरु द्रोणाचार्य बोले, अब आप लोग अर्जुन का अस्त्र कौशल देखें, शिष्यों में ये मुझे सबसे अधिक प्रिय है।

Dharma :  भीम और दुर्योधन की कुश्ती बंद करा गुरु द्रोण ने रणकौशल का प्रदर्शन करने के लिए किसे रंगमंडप में उतारा

Dharma : गुरु द्रोणाचार्य के आदेश पर सजाए गए रंगमंडप में राजकुमार भीमसेन और दुर्योधन की कुश्ती देखने के लिए भीड़ उमड़ने लगी। भारी भीड़ देख गुरु गदगद हुए कि उनके शिष्यों का रणकौशल हर कोई देखना चाहता है। इस नजारे को देख गुरु अपने पुत्र अश्वत्थामा को निर्देशित किया कि अब इसे रोको नहीं तो दर्शक गड़बड़ भी कर सकते हैं। अश्वत्थामा ने अपने पिता के आदेश का पालन किया। 

रंगमंडप में उतरे राजकुमार के लिए क्या बोले द्रोण

गुरु द्रोणाचार्य ने रंगमंडप में खड़े होकर बाजे बंद कराए और गंभीर आवाज में बोले, अब आप लोग अर्जुन का अस्त्र कौशल देखें, शिष्यों में ये मुझे सबसे अधिक प्रिय है। अर्जुन ने गुरु को प्रणाम कर आग्नेयास्त्र से पहले आग पैदा की और फिर वरुणास्त्र से वर्षा करा उस आग को बुझा दिया। इसके बाद वायव्यास्त्र से आंधी चला दी तो पर्जन्यास्त्र से बादल पैदा कर भौमास्त्र से पृथ्वी और पर्वतास्त्र से विशाल पहाड़ पैदा कर दिए। अंतर्धानास्त्र से स्वयं छिप गए। अर्जुन क्षण भर में बहुत लंबे तो अगले ही पल छोटे हो जाते। 

रणकौशल को देख दर्शक करने लगे वाहवाही 

रंगमंडप में उपस्थित राज परिवार और प्रजाजनों ने देखा कि अर्जुन कभी रथ के धुरे पर तो उसी क्षण रथ के बीच में। वे पलक झपकते ही विभिन्न अस्त्रों के कौशल का प्रदर्शन कर रहे थे। अर्जुन ने बड़ी ही फुर्ती और खूबसूरती के साथ कभी बहुत ही छोटे तो कभी भारी निशाने लगा कर अपनी निपुणता दिखाने का प्रयास किया। उन्होंने लोहे के बने सुअर को इतनी फुर्ती से पांच बाण मारे कि दर्शक एक ही बाण को देख सके। उन्होंने यदि स्थिर निशानों को वेधा तो हिलने डुलने वाले निशानों को भी वेधने में देर नहीं की। धनुर्विद्या का प्रदर्शन करने के बाद अर्जुन ने खड्गयुद्ध और गदायुद्ध के पैंतरे दिखा कर दर्शकों को मोह लिया और चारो तरफ से उनकी वाहवाही होने लगी जिसे देख कर गुरु द्रोणाचार्य भी अत्यधिक प्रसन्न हुए।

Leave a Reply