Legacy of Purvansh : राजा जनमेजय ने वैशम्पायन ऋषि से कौन सा प्रश्न किया जो उन्होंने उनकी पूरी वंशावली सामने रख दी, जानिए हस्तिनापुर की स्थापना किसने की 

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ऋषि ने कहा राजा दक्ष से अदिति, अदिति से विवस्वान, विवस्वान से मनु, मनु से इला, इला से पुरुरवा, पुरुरवा से आयु, आयु से नहुष और नहुष से राजा ययाति का जन्म हुआ।

Legacy of Purvansh : राजा जनमेजय ने महाभारत की कथा सुनने के क्रम में महर्षि कृष्ण द्वैपायन के शिष्य वैशम्पायन से प्रार्थना की कि अब मुझे उस गौरवशाली पुरु वंश के बारे में विस्तार से बताएं जिस वंश में मेरा भी जन्म हुआ। ऋषि ने कहा राजा दक्ष से अदिति, अदिति से विवस्वान, विवस्वान से मनु, मनु से इला, इला से पुरुरवा, पुरुरवा से आयु, आयु से नहुष और नहुष से राजा ययाति का जन्म हुआ। राजा ययाति ने दो विवाह किए और पहली देवयानी से यदु और तुर्वसु तथा दूसरी पत्नी शर्मिष्ठा से द्रुह्यु, अनु और पुरु का जन्म हुआ। यदु से यादव और पुरु से पौरव हुए। 

पुरु वंश का प्रारंभ 

राजा पुरु से ही पुरुवंश चला और उनकी पत्नी का नाम कौशल्या था जिनसे राजा जनमेजय का जन्म हुआ। राजा जनमेजय ने तीन अश्वमेध और एक विश्वजित यज्ञ किया। राजा जनमेजय की पत्नी अनन्ता जिनसे प्रचिन्वान का जन्म हुआ। प्रचिन्वान के बड़े होने पर उनका विवाह हुआ और पत्नी अश्मकी से संयाति ने जन्म लिया। संयाति ने पत्नी वरांगी से विवाह कर अहंयाति को जन्म दिया। अहंयाति की पत्नी भानुमती से सार्वभौम का जन्म हुआ जिसने बड़े होकर सुनन्दा से विवाह कर जयत्सेन नाम के पुत्र पैदा किया। जयत्सेन का विवाह सुश्रुवा से हुआ और उनके गर्भ से अवाचीन ने पुत्र रूप में जन्म लिया। अवाचीन ने मर्यादा नाम की पत्नी से विवा कर अरिह को जन्म दिया। अरिह से महाभौम, महाभौम से अयुतनायी और अयुतनायी ने कामा से शादी कर अक्रोधन को जन्म दिया। अक्रोधन से देवातिथि, देवातिथि से अरिह, अरिह का पुत्र ऋक्ष नाम से विख्यात हुआ। 

एक नए नगर की स्थापना

महाभारत ग्रंथ के आदिपर्व के अनुसार ऋक्ष की पत्नी का नाम  ज्वाला था। उनसे मतिनार का जन्म हुआ जिसने सरस्वती नदी के तट पर 12 वर्ष तक सर्वगुण सम्पन्न यज्ञ किया। यज्ञ की समाप्ति पर सरस्वती ने उनसे विवाह कर लिया। उनके गर्भ से तंसु नाम का पुत्र हुआ। तंसु से ईलिन का जन्म हुआ। ईलिन की पत्नी रथन्तरी से दुष्यंत आदि पांच पुत्र हुए। दुष्यंत सबसे बड़े थे और दुष्यंत की भार्या शकुन्तला से भरत का जन्म हुआ। भरत से भुमन्यु, भुमन्यु से सुहोत्र, सुहोत्र का विवाह सुवर्णा से हुआ और उसने हस्ती नाम के पुत्र को जन्म दिया। इन्हीं हस्ती ने हस्तिनापुर नाम का नगर बसाया जो बाद में महाराजा युधिष्ठिर के साम्राज्य की राजधानी बना।

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