
Dharam : हिंदू धर्म के दो महान ग्रंथ हैं जिनमें पहला है महाभारत और दूसरा है रामायण। दोनों ही धर्म ग्रंथ मूल रूप से संस्कृत के स्मृति ग्रंथ हैं। जहां तक महाभारत की बात है यह कुरुक्षेत्र में दो चचेरे भाइयों और उनके परिवारों के बीच उत्तराधिकारी को लेकर 18 दिनों तक चले एक युद्ध और उसके बाद की घटनाओं पर आधारित है जिसे पांचवें वेद के रूप में माना गया है। इस लेख में जानिए विश्व के सबसे बड़े महाकाव्य की रचना किसने की और किसने इस महाग्रंथ को लिखने का बीड़ा किसके कहने पर उठाया और बोलने तथा लिखने वाले दोनों महान विद्वानों के बीच किस तरह की शर्तें रखी गयी।
सभी जानते हैं कि महाभारत महाकाव्य की धुरी में त्रेतायुग में जन्में भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण ही हैं। उन्हीं की विभिन्न लीलाओं को केंद्रित करते हुए महान विद्वान वेदों, भूत भविष्य तथा वर्तमान के साथ ही योग धर्म, अर्थ और काम, सारे शास्त्रों व लोक व्यवहार के जानकार श्री कृष्ण द्वैपायन जिन्हें महर्षि वेदव्यास भी कहा जाता है ने इस महान धर्म ग्रंथ की रचना की थी। उन्होंने कठिन तपस्या और ब्रह्मचर्य की शक्ति से वेदों का विभाजन करके इस ग्रंथ का निर्माण तो अपने मस्तिष्क में कर लिया, इसके बाद उन्हें लगा कि इसे लिपिबद्ध किया जाए ताकि शिष्यों को भी पढ़ाया जा सके।
ब्रह्मा जी ने सुझाया, लेखक का नाम
भगवान व्यास का यह विचार ब्रह्मा जी को बहुत ही अच्छा लगा और वे स्वयं ही महर्षि व्यास के पास पहुंचे तो व्यास जी ने स्वयं ही अपने मन का विचार उन्हें बताते हुए समस्या रखी कि वे इसे लिपिबद्ध कराना चाहते हैं किंतु इस कार्य के लिए कोई उपयुक्त लेखक नहीं मिल रहा है। ब्रह्मा जी ने उनके रचे ग्रंथ के बारे में जानकार प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह महाकाव्य ही आगे चल कर संसार में लोगों का मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने चिंतन कर सुझाव दिया कि इसको लिखने के लिए आपको प्रथम देव गणपति से बात करनी चाहिए।
