Anjani Nigam
देवी मां का आठवां स्वरूप महागौरी कहलाता है, जिन्हें सौंदर्य की देवी भी कहा जाता है. नवरात्र के आठवें दिन देवी मां के इसी रूप की पूजा करने का विधान है. महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और कोमल दिखती हैं. देवी भागवत् पुराण में देवी मां के 9 रूप और 10 महाविद्याओं की आदिशक्ति बताया गया है किंतु भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं. मान्यता है कि इनकी शक्ति अमोघ और सदैव फलदायिनी है. महागौरी की पूजा मात्र से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और वह व्यक्ति अक्षय पुण्य का अधिकारी हो जाता है. देवताओं और ऋषियों ने भी उनकी प्रार्थना करते हुए कहा, “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते.”
देवी के संबंध में पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती के भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की. उन्हें तप करते हुए हजारों बरस गुजर गए. तपस्या के दौरान मां हजारों वर्षों तक निराहार रहीं, जिस कारण इनका शरीर काला पड़ गया था. जब मां की कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल स्नान करा के कांतिमय और ओजपूर्ण बना दिया. ऐसा करने से इनका काला रंग गोरा हो गया और मां पार्वती को महागौरी के नाम से जाना गया.
मां का ऐसा है स्वरूप
महागौरी के वर्ण की तरह इनके वस्त्र और आभूषण सभी सफेद हैं और उनका प्रिय रंग भी सफेद है. यही कारण है कि पूजा में मां को सफेद चीजें और भोग अर्पित किए जाते हैं. सफेद रंग प्रिय होने के कारण इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है, शिव जी के कारण इनका एक नाम शिवा भी है. मां का वाहन वृषभ है और इनकी चार भुजाएं हैं. ऊपर वाले दाहिने हाथ में अभय मुद्रा है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में मां ने डमरू धारण किया है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. मां की पूरी मुद्रा बहुत शांत है. मां गौरी अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं.
धन वैभव की अधिष्ठात्री देवी हैं महागौरी
मां महागौरी भक्तों के लिए अन्नपूर्णा स्वरूप हैं. यह धन वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री हैं. अष्टमी के दिन इनकी आराधना के साथ ही कन्या पूजन का भी विधान है. महागौरी का अर्थ है गोरे रंग का वह रूप जो कि सौन्दर्य से भरपूर और प्रकाशमान है. जिस तरह प्रकृति के दो रूप होते हैं, एक महा विध्वंसकारी और दूसरा सृजनकारी उसी तरह मां के एक रूप कालरात्रि प्रलय के समान है तो महागौरी रूप सौंदर्यवान करुणामयी है. उनका ध्यान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.



