
VASTU : विज्ञान का कहना है कि हर चीज के ऊपर का भाग उस वस्तु का उत्तरी ध्रुव है, जैसे वृक्षों के ऊपर की ओर के पत्ते और टहनियां। पृथ्वी के ऊपर का भाग आदि सब उत्तरी ध्रुव हैं। इसी तरह से मनुष्य के शरीर के ऊपर का भाग यानी सिर भी उत्तरी ध्रुव में है। रात को सोते समय शरीर का उत्तरी ध्रुव यानी सिर पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव की तरफ होगा तो समान ध्रुव आपस में तालमेल न करके एक-दूसरे को दूर धकेलने वाला प्रभाव पैदा करेंगे। जो नींद में समस्या खड़ी कर सकते हैं। नींद व्यक्ति की दिनचर्या का वह अहम हिस्सा है, जो आपके शरीर के साथ मस्तिष्क को भी आराम करने का मौका देती है, इसलिए व्यक्ति चैन की नींद लेने के लिए आरामदायक स्थान और बेड पर सोना ही पसंद करता है। सुख संसाधनों की पूर्ति होने के बाद भी कुछ व्यक्ति के साथ नींद न आना, रात में करवट बदलते रहना, उलझन, बेचैनी जैसी समस्याएं बनी रहती है, जिसका मुख्य कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु शास्त्र में कुछ दिशा में सिर करके सोना मना किया गया है, आइए इसे वास्तु शास्त्र की नजर से समझे।
उत्तर दिशा में शयन क्यों है मना
उत्तर दिशा धन, समृद्धि की दृष्टि से अति उत्तम मानी गई है, पर शयन की दृष्टि से उत्तम नहीं मानी गयी है। उत्तर दिशा में सिर करके सोने का विधान नहीं है, क्योंकि इस दिशा में सिर करके सोने से प्राण-ऊर्जा में कमी आती है। इसके साथ ही उत्तरी ध्रुव की तीव्रता हमारे खून में मौजूद लौह तत्व को उत्तर दिशा की ओर खींचती है। जिससे हृदय को पांवों तक रक्त पंप करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। इससे हृदय पर जोर पड़ता है। यही कारण है कि उत्तर दिशा में सिर रखकर सोने से आयु घटती है।
प्राण ऊर्जा में आती है कमी
उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर सोने से पांव दक्षिण दिशा की तरफ अपने आप ही हो जाते हैं। दक्षिण दिशा को यम की दिशा या मृत्यु का द्वार भी कहा जाता है। इस दिशा में यम का पैर होने का सांकेतिक अर्थ है कि हम दक्षिण दिशा यानी नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव में हैं, जिससे प्राण-ऊर्जा में कमी आने लगती है।
