कुण्डली का दशम भाव: कर्म, यश और जीविका के देता है संकेत. शनि और मंगल इन दो बड़े ग्रहों का मिलता है सपोर्ट

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Shashishekhar Tripathi 

ज्योतिषशास्त्र में दशम भाव को कर्म का प्रतीक माना गया है. यह भाव जातक के कर्मक्षेत्र, व्यावसायिक सफलता और यश का संकेत देता है. आइए, दशम भाव के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से अध्ययन करें और समझें कि यह हमारे जीवन पर कैसे प्रभाव डालता है.

 कर्म और जीविका का महत्व

दशम भाव का संबंध कर्म से है, जो जीवन में सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. यह बताता है कि जातक का कार्यक्षेत्र क्या होगा, राज्य, व्यापार या नौकरी में किस प्रकार के लोग मिलेंगे और उनके साथ कैसे संबंध होंगे. यह भाव जातक के कर्मों की दिशा और उनके फल को भी दर्शाता है. 

 शुभ ग्रहों का प्रभाव

दशम भाव का स्वामी ग्रह शनि है और कालपुरुष की कुण्डली में यह मकर राशि में स्थित होता है. मंगल ग्रह इस भाव में उच्च फल देता है, जबकि बृहस्पति नीच फल प्रदान करता है. यह भाव सूर्य का भी कारक है. जब दशम भाव में शुभ ग्रह होते हैं, तो जातक को अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और यश आसानी से प्राप्त होता है.

 पिताजी की आर्थिक स्थिति

दशम भाव से जातक के पिता की आर्थिक स्थिति का भी पता चलता है. यदि यह भाव शुभ ग्रहों से युक्त हो, तो पिता का व्यवसाय या आर्थिक स्थिति अच्छी होती है, जो जातक की जीवन यात्रा में मददगार साबित होती है.

 स्वास्थ्य से संबंध

दशम भाव स्वास्थ्य से भी संबंधित है. यह श्वास रोग, खांसी और अन्य शारीरिक समस्याओं का संकेत देता है. यदि दशम भाव में अशुभ ग्रह होते हैं, तो जातक को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

यश और अपयश का संकेत

दशम भाव यह भी बताता है कि जातक को कितना यश मिलेगा और कितना अपयश. यदि यह भाव शुभ स्थिति में है, तो जातक को समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त होगा. इसके विपरीत, अशुभ स्थिति में जातक को असफलता और अपमान का सामना करना पड़ सकता है.

 कर्मों में चालाकी और होशियारी

इस भाव के माध्यम से जातक के कर्मों में चालाकी, होशियारी और दूसरों को धोखा देने की प्रवृत्ति का भी पता चलता है. यदि दशम भाव में शुभ ग्रह हैं, तो जातक अपने कर्मों में सत्यता और नैतिकता का पालन करेगा, जिससे उसे लाभ होगा.

 साम्राज्ययोग और राज्यकृपा

दशम भाव साम्राज्ययोग, जीवन की ऊँचाई, राज्यकृपा और शुभ कर्मों को भी दर्शाता है. यदि यह भाव बलवान है, तो जातक को जीवन में ऊँचाई और सफलता प्राप्त हो सकती है. 

दशम भाव कर्म, यश, और जीविका का महत्वपूर्ण संकेतक है. इसका अध्ययन जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है. यदि जातक अपने कर्मों को उचित दिशा में लेकर चलता है और इस भाव की शुभ स्थिति को बनाए रखता है, तो वह अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और यश प्राप्त कर सकता है. इस प्रकार, दशम भाव का अध्ययन करना हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है .

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