लद्दाख के श्री पर्वत पर जहां माता सती का अत्यंत प्राचीन मंदिर है। श्री पर्वत पर होने के कारण ही इसे श्री पर्वत शक्तिपीठ कहा जाता है
Shri Parvata Shakti Peeth : चैत्र हो या शारदीय नवरात्र देवी के विभिन्न रूपों की इन दिनों में पूजन, भजन और व्रत रखा जाता है। आइए आज चलते हैं लद्दाख के श्री पर्वत पर जहां माता सती का अत्यंत प्राचीन मंदिर है। श्री पर्वत पर होने के कारण ही इसे श्री पर्वत शक्तिपीठ कहा जाता है जहां एक मंदिर में मां काली की प्रतिमा विराजमान है। हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि यह असोम के सिलहट में है जहां पर सती का दक्षिण तल्प यानी दाहिनी कनपटी गिरी थी। यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। श्री पर्वत में माता सती श्री सुंदरी के रूप में विराजमान हैं।
पुराणों के अनुसार अपने पिता दक्ष प्रजापति के यहां किसी विशाल यज्ञ की जानकारी मिलने पर भगवान शंकर के मना करने के बाद भी उनकी पत्नी सती जाने की जिद्द करने लगीं। इस पर शिव जी ने अपने कुछ विशेष गणों के साथ उन्हें भेज दिया, वहां शिव जी का अपमान देख माता को क्रोध आया और उन्होंने यज्ञ कुंड में कूद कर अपना जीवन समाप्त कर लिया। बाद में उनका शव लेकर शिव जी कैलाश से हट कर संसार में घूमने लगे और सृष्टि में सब उलटा पुलटा होने लगा। इसे देख भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के अंग काट दिए और जो अंग या आभूषण जहां भी गिरा, वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए।
यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है जो श्री पर्वत में माता सती श्री सुंदरी के रूप में विराजमान हैं
अद्भुत है मंदिर का वास्तु
वर्तमान मंदिर करीब आठ सौ वर्ष पुराना माना जाता है जो नागर शैली में काले पत्थर से बना है। दीवारों पर देवी देवताओं का सुंदर नक्काशी की गयी है जो देखने लायक है। यहां पर माता सुंदरी हमेशा ही लाल वस्त्रों से ढ़की रहती है और यहां के क्षत्र पालक भैरव को सुंदरानंद के रूप में जाना जाता है। बड़े बड़े सिद्ध ऋषि यहां पर कुछ देर के ध्यान में ही सिद्धि प्राप्त कर लेते हैं।
नवरात्र पर लगता है भव्य मेला
मंदिर में प्रत्येक नवरात्र चाहे वह चैत्र हो या शारदीय दोनों ही अवसरों पर भव्य मेला लगता है जहां आसपास के गांवों के लोग तो एकत्र होते ही हैं, सैलानी भी आ जाते हैं। शिव जी के भी विराजमान होने के कारण शिवरात्रि पर भी विशेष आयोजन होते हैं। दशहरा दीपावली आदि अन्य त्योहार भी मनाए जाते हैं। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण मन को शांति प्रदान करता है। मंदिर से विश्व की सबसे ऊंची लेह हवाई पट्टी का खूबसूरत नजारा दिखता है, जिसे लोग घंटों देखते रहते हैं।