Manas Manthan:वानरों और रीछों में जामवंत जी सबसे अधिक आयु के अनुभवी थे. उन्हें सभी लोगों के गुणों की अच्छी परख थी, इसी आधार पर जब समुद्र पार कर लंका जाने और वहां पर सीताजी का पता लगाने का विषय सामने आया, तो उन्होंने हनुमान जी को संबोधित करते हुए कहा, का चुप साधि रहे बलवाना अर्थात तुम तो सबसे अधिक बलवान हो फिर क्यों चुप्पी साध रहे है. ऐसा कह कर जैसे ही उन्होंने हनुमान जी को उनके बल की याद दिलाई तो वह तुरंत ही लंका जाने को तैयार हो गए. दरअसल बचपन में हनुमान जी बहुत उत्पात करते थे, यज्ञ कार्य में लगे संतों और ऋषियों को उनकी शरारतों से परेशानी होने लगे, तो उन्होंने उनकी शक्तियों को यह कह कर गायब कर दिया कि वह सामान्य वानरों की तरह ही रहेंगे जब तक उन्हें उनकी शक्ति की याद न दिलाई जाए.
श्री राम के कार्य को करने, पूरे विश्वास से चले हनुमान
जामवंत जी की बात को सुन कर हनुमान जी उपस्थित लोगों से बोले, जब तक मैं प्रभु श्री राम का कार्य करके न लौट आऊं, आप सब कष्ट सहकर भी कंद-मूल फल आदि खाकर मेरी राह देखना. मैं हर हाल में सीता माता का पता लगा कर आऊंगा, इस बात का मुझे पूरा विश्वास है क्योंकि इस कार्य को लेकर मैं बहुत ही उत्साहित हो रहा हूं और मन में बहुत प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं. इतना कहते हुए उन्होंने हाथ जोड़ सिर झुका कर सबको प्रणाम किया और हृदय में प्रभु श्री राम का ध्यान कर खुश होते हुए चल पड़े. समुद्र के किनारे पहुंचते ही उन्होंने एक पर्वत देखा तो उछल कर उस पर चढ़ गए और भगवान की याद करते हुए बहुत तेजी से उछले वह ऊंचा पर्वत पाताल में धंस गया लेकिन वह तो समुद्र के ऊपर उड़ते हुए आगे बढ़ते रहे.
राम काज कीन्हें बिना, मोहि कहां विश्राम
समुद्र ने हनुमान जी को रघुनाथ जी का दूत समझ कर मैनाक पर्वत से कहा कि तुम इनकी थकान दूर करने के लिए थोड़ा सा ऊंचा हो जाओ ताकि हनुमान वहां कुछ क्षण के लिए विश्राम कर सकें. हनुमान जी ने उसे हाथ से छूकर प्रणाम करते हुए बस इतना कहा, प्रभु श्री राम का कार्य पूरा करने निकला हूं और जब तक वह कार्य नहीं कर लेता विश्राम करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
लेख का मर्म
इस लेख से दो बातों की सीख मिलती है, पहली यह कि जब आपसे किसी कार्य को पूरा करने के लिए कहा जाए तो अपनी पूरी शक्ति का ठीक से आंकलन कर लेना चाहिए क्योंकि किसी भी व्यक्ति की असीमित सामर्थ्य होती है, जिससे पहचानने की जरूरत होती है. इसलिए सदैव श्रेष्ठ जनों का साथ करें जो समय-समय पर आपका मार्गदर्शन करते रहें. दूसरे जब कोई बड़ा लक्ष्य हाथ में लें तो उसे पूरा करे बिना चैन नहीं लेना चाहिए, हर कार्य को प्रभु का कार्य समझ कर ही करने पर सफलता मिलती है.