Manas Manthan: समुद्र से लंका तक जाने का रास्ता मांगने के लिए श्री राम ने पहले तो तीन दिनों तक समुद्र से प्रार्थना की किंतु सुनवाई न होने पर प्रभु को क्रोध आ गया और बोले बिना भय के काम नहीं चलता और इतना कहते ही उन्होंने धनुष पर तीर चढ़ा दिया. तीर चलने के पहले ही समुद्र के अथाह जल में जबरदस्त हलचल होने लगी और वहां रहने वाले जीव जंतु व्याकुल हो गए. इसके बाद समुद्र तुरंत मनुष्य वेश में उनके सामने हाथ जोड़ कर आया और बोला, आपके पास नल और नील नाम के दो वानर भाई हैं. इन्हें बचपन से ही इस बात का आशीर्वाद मिला हुआ है कि उनके छू लेने और आपकी कृपा से भारी से भारी पहाड़ भी तैरने लगेगा. इन दोनों की सहायता से आप मेरे ऊपर पुल बनाएं और मैं उसके भार को अपनी ताकत भर सहन करने का प्रयास करुंगा. इस पर श्री राम ने अपने मंत्रियों की मीटिंग बुला कर कहा कि अब लंका पहुंचने में किस बात का विलम्ब किया जा रहा है. फटाफट पुल तैयार करो ताकि सेना को उस पार उतारा जा सके.
इस वजह से है, समुद्र का पानी खारा
श्री राम के वचन सुन कर जामवंत जी ने हाथ जोड़ कर कहा, हे प्रभु सेतु तो आप स्वयं ही हैं जिनका सहारा पाते ही मनुष्य संसार रूपी समुद्र पार कर लेता है. फिर इस छोटे से समुद्र को पार करने में कितनी देर लगनी है. इतना सुनते ही हनुमान जी प्रभु का प्रताप तो भारी आग के समान है जिसने समुद्र के जल को पहले ही सोख लिया था. लेकिन यह फिर से इसलिए भर गया क्योंकि आपके शत्रुओं की महिलाओं की आंखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ी. यही कारण है कि समुद्र का पानी खारा है. हनुमान जी की बात सुनकर सदैव धीर गंभीर रहने वाले श्री राम भी मुस्कुराने लगे. अब जामवंत जी ने नल और नील को बुला कर समुद्र के साथ हुए संवाद की बात बताते हुए कहा कि अब तुम श्री राम का नाम लेकर सेतु बनाने के लिए तैयार हो जाओ, उनके प्रताप से कोई परिश्रम नहीं करना होगा.
लेख का मर्म
इस लेख से सीख मिलती है कि आपके अपने नेटवर्क के लोगों के बारे में ठीक से जानते रहना चाहिए, पता नहीं कब किसके गुणों का उपयोग करने की आवश्यकता पड़ जाए, जानकारी के अभाव में समस्या का समाधान आपके सामने होने के बाद भी आप परेशान घूम सकते हैं.