मानस मंथन: प्रभु श्री राम के अवतरण के पहले ही इन ऋषि ने भगवान शंकर को सुना दी थी कथा, जानें क्यों उन्हें ही समझा पात्र

0
578

भगवान विष्णु के नर रूप में अयोध्या नरेश दशरथ और महारानी कौशल्या के यहां पुत्र बन कर राम नाम से पृथ्वी पर अवतार लेने के पहले ही उनके जन्म और सम्पूर्ण जीवन की लीला को भगवान शंकर ने सुन लिया था. लेख में जानिए इन महान ऋषि ने उन्हें ही क्यों समझा इस कथा का पात्र और किस कारण बताया इतना बड़ा रहस्य. 

जब अगस्त्य मुनि के पास पहुंचे भगवान शिव  

बात त्रेता युग की है, कैलाश वासी भगवान शिव अगस्त्य मुनि के आश्रम में गए और उनके साथ उनकी पत्नी जगजननी भवानी सीता जी भी थीं. ऋषि अगस्त्य ने सम्पूर्ण जगत का ईश्वर जानकर उनकी पूजा अर्चना की और उचित आसन देकर उनके आने का कारण पूछा. शिव जी का आशय जान कर मुनिवर ने विस्तार से राम कथा और उसका महत्व बताया. सारी जिज्ञासा शांत हुईं तो भगवान ने हार्दिक प्रसन्नता के साथ मन की संतुष्टि व्यक्त की. उनके भाव देख मुनिवर अगस्त्य ने शिवजी से सबसे सुंदर हरिभक्ति पूछी तो शिव जी ने भी उन्हें उचित पात्र जान कर भगवान की भक्ति के रहस्यों के बारे में विस्तार से बताया. मुनि अगस्त्य और भगवान शिव की भेंट तथा संवाद के बाद ही श्री राम ने अयोध्या में जन्म लिया.

 

रामकथा सुनने से मिटता है अज्ञान

दरअसल, राम कथा का सारा प्रसंग प्रयाग राज में ऋषि याज्ञवल्क्य से भरद्वाज मुनि के आश्रम में उनके द्वारा श्री राम को लेकर मन में आर रही शंका का निवारण करने के लिए बताया. ऋषि याज्ञवल्क्य ने मुनि से कहा कि तुम ज्ञानी होते हुए भी अपने को अज्ञानी व्यक्त कर रहे हो क्योंकि तुम मन वचन और कर्म से श्री राम के अनन्य भक्त हो और उनकी प्रभुता के बारे में सब कुछ जानते हो. इतना होने के बाद भी तुम भक्ति भाव से श्री राम के रहस्यमय गुणों को सुनना चाहते हो. ऋषि ने अज्ञान को महिषासुर की उपमा देते हुए बताया कि राम कथा भयंकर काली के समान है. जिस तरह मां काली ने महिषासुर का अंत किया था उसी तरह से राम कथा की महिमा है कि इसे सुनने से हर तरह का अज्ञान मिट जाता है.   

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here