नवरात्र के अंतिम दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानिए क्यों की शिव जी ने उनकी आराधना

0
239

Anjani Nigam

नवरात्र के पर्व में अंतिम यानी नौवें दिन मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में से मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अंतिम और सबसे शक्तिशाली है. प्रतिपदा से प्रारंभ होने वाले नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री के रूप में पूजन करके रोज मां दुर्गा के किसी एक स्वरूप का पूजन किया जाता है और आठ स्वरूपों का पूजन करने के बाद नौवें दिन इनकी उपासना का विधान है. मान्यता है कि जो भक्त पूरे विधि विधान से मां सिद्धिदात्री की आराधना करते हैं उन्हें सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती है. सिद्धियां प्राप्त करने वाले व्यक्ति के लिए संसार में कुछ भी असंभव नहीं रहता है, उसमें ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने की शक्ति आ जाती है. 

कितनी होती हैं सिद्धियां
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार सिद्धियां आठ प्रकार की होती हैं जो अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व हैं. कठिन तपस्या, साधना और दृढ़ संकल्प के बाद ही इन सिद्धियों की प्राप्ति होती है, जो माता सिद्धिदात्री प्रदान करती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी को आठ सिद्धियां माता जानकी ने प्रसन्न होकर देते हुए उन्हें इन सिद्धियों को दूसरों को देने के लिए भी सक्षम बनाया. ये  सिद्धियां बहुत चमत्कारिक हैं. माना जाता है कि सिद्धियां पाने के बाद उनका उपयोग परोपकार और लोककल्याण में करना चाहिए.

मां सिद्धिदात्री और भगवान शिव में कनेक्शन
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने ने मां सिद्धिदात्री की तपस्या कर उनसे सिद्धियां प्राप्त की थीं. उनकी कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ और वे अर्धनाऱीश्वर कहलाए. ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का सृजन शुरु किया, तो उन्होंने महसूस किया कि उनकी रचनाएं जीवन पूरा होने के बाद नष्ट हो जाएंगी और फिर नए सिरे से सृजन करना होगा. इसी विचार को लेकर वे शिव जी के पास पहुंचे और घोर तप कर उन्हें प्रसन्न किया. तब शिव जी उनकी समस्या के समाधान के लिए उनके समक्ष अर्धनारीश्वर के रूप में प्रकट हुए और उन्हें प्रजनन शील प्राणी तैयार करने की प्रेरणा दी तथा स्त्री और पुरुष का महत्व बताया. उनके शरीर का नर भाग शिव और नारी वाला भाग शिवा यानी शक्ति कहलाया. दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. 

मां का ऐसा है स्वरूप
चार भुजाओं वाली मां सिद्धिदात्री लाल साड़ी पहने हुए कमल के पुष्प पर विराजमान हैं. उनके हाथों में कमल का फूल, शंख, गदा और सुदर्शन चक्र है. कमल के फूल पर विराजमान मां का वाहन सिंह है.  

मां के नाम का अर्थ
मार्कण्डेय पुराण में महर्षि मार्कण्डेय ने और हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास ने आठ प्रकार की सिद्धियां बतायी हैं. मां के इस स्वरूप की आराधना से ही मनुष्य इन सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है जैसा भगवान शिव ने किया था. सिद्धियों की प्राप्ति के बाद भक्त के मन में कोई ऐसी कामना नहीं बचती है जिसे वह पूरा करना चाहता है. इनकी कृपा से ही मनुष्य सुखों का भोग करते हुए मोक्ष को प्राप्त कर सकता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here