फल, मिठाई से नहीं हरी सब्जियों के भोग से प्रसन्न होती है बुद्धा देवी… जाने कहां है यह अद्भुत अलौकिक मंदिर

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प्रथम देव गणपति को उनका प्रिय भोग लड्डू लगाया जाता है तो देवियों को उनके स्वरूप के आधार पर सफेद बर्फी, पेड़ा  मिठाई आदि का भोग लगाया जाता है. किंतु कानपुर के व्यस्ततम इलाके में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां पर लड्डू पेड़ा आदि का भोग नहीं लगाया जाता है बल्कि यहां पर हरी और ताजी सब्जी का भोग लगाने से मां प्रसन्न होकर भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं. यह मंदिर छोटी-छोटी गलियों वाले हटिया मोहल्ले में स्थित है, जो दो सौ साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है. 

मंदिर निर्माण की कहानी
तंग गलियों में स्थित मां बुद्धा देवी मंदिर के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में किसी जमाने में सब्जियों के बाग हुआ करते थे. बुद्धू नाम के एक माली को स्वप्न में मां ने दर्शन दिए कि मेरी मूर्ति बगीचे नीचे दबी हुई है, जिसे खोद कर निकालो और स्थापित करो. इस पर उसने दूसरे ही दिन खोदाई कराई तो मां की पिंडियां दिखाई पड़ी जिनकी पूजा अर्चना कर उन्हें एक चबूतरा बना कर स्थापित कर दिया गया. 

परम्परा का हो रहा पालन 
श्रद्धालु बताते हैं कि सब्जी के बगीचे से मां की पिंडी निकलने पर उन्हें ताजी हरी सब्जियां ही अर्पित की गयी, जो वहां पर आसानी से उपलब्ध थीं. तभी से मां को मिठाई के स्थान पर हरी सब्जी अर्पित की जाती हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मां के सामने अपनी मनोकामना रखता है, उसे वह अवश्य ही पूरा करती हैं. हां जिस तरह अन्य मंदिरों में फूल माला और नारियल चढ़ाया जाता है वह परम्परा यहां भी लागू है. बस भोग के नाम पर हरी सब्जी की डलिया चढ़ाई जाती है.  

दिन भर लगती दर्शनार्थियों की भीड़
नवरात्र में बुद्धा देवी मंदिर में दिन भर ही श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहती है. हटिया में खोया मंडी के निकट जिस गली में यह मंदिर है, वहां दो पहिया वाहन एक साथ नहीं निकल सकते हैं. इस लिए कोई बड़ा समारोह तो नहीं हो पाता किंतु आस्था के कारण भक्तों का दिन भर आना जाना बना रहता है. नवरात्र के अलावा बुधवार के दिन भी मां के दर्शन करने की विशेष मान्यता है.  

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