दीपावली 31 अक्टूबर की रात को मनाएं, कार्यस्थल की पूजा 1 नवंबर को दिन में करें

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अब भ्रम की स्थिति से बाहर आएं। दीपावली का मुख्य महालक्ष्मी पूजन रात्रि में 31 अक्टूबर 2024 को घर पर किया जाएगा। इस बार आपको एक बदलाव करना है कि यदि आप अपने कार्यक्षेत्र जैसे ऑफिस, दुकान, क्लिनिक या फैक्ट्री में दिन में पूजा करते हैं, तो इसे 1 नवंबर 2024 को दिन में करें। इसका कारण यह है कि 31 अक्टूबर को अमावस्या शाम 4 बजे के आसपास शुरू होगी और 1 नवंबर को शाम 6:17 बजे समाप्त होगी। यदि आप 31 अक्टूबर को दिन में अपने कार्यस्थल पर पूजा करेंगे, तो अमावस्या का समय नहीं रहेगा, जबकि 1 नवंबर को दिन में पूजा करने पर अमावस्या का प्रभाव होगा।
अगर आप चाहें तो अपने घर और कार्यस्थल दोनों जगह 31 अक्टूबर की रात को ही पूजा कर सकते हैं।
वेदआई वर्ल्ड के संरक्षक एवं इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री रमेश चिंतक ने स्पष्ट किया कि दीपावली घनघोर अमावस्या की रात को मनाई जाती है, जब अंधकार अपने चरम पर होता है। इस अंधकार को दूर करने के लिए ज्योतिपर्व मनाया जाता है, जो नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का प्रतीक है। इसलिए, 31 अक्टूबर 2024 की रात को अमावस्या होने के कारण दीपावली मनाना शास्त्र सम्मत है।
श्री चिंतक ने बताया कि अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की रात में व्याप्त रहेगी, जबकि 1 नवंबर को यह शाम होते ही समाप्त हो जाएगी। अतः 31 अक्टूबर 2024 को ही दीपावली मनाना उचित और शुभ होगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रात्रि पूजा 31 अक्टूबर को होगी, और जो लोग दिन में पूजा करते हैं, जैसे ऑफिस, दुकान आदि, उन्हें 1 नवंबर को दिन में पूजा करनी चाहिए। 31 अक्टूबर को दिन की पूजा न करें, क्योंकि अमावस्या दोपहर 3:54 पर शुरू होगी और इसके पहले दीपावली की पूजा करना सार्थक नहीं है।
इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर लोगों के बीच कुछ भ्रम बना हुआ है। दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर है। सही समय पर पूजा करने से समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है।
दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष, संवत 2081 के अनुसार, अमावस्या 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3:54 बजे से प्रारंभ होकर 1 नवंबर 2024 को शाम 6:17 बजे समाप्त होगी।
दीपावली रात्रि का पर्व है और इसका मुख्य पूजन अमावस्या के समय रात्रि में ही किया जाता है। अमावस्या की तिथि में प्रदोष काल का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल वह समय होता है, जब सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट की अवधि होती है। शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल में व्याप्त होती है, उसी दिन दीपावली का पर्व मनाना चाहिए।
31 अक्टूबर को अमावस्या दोपहर में शुरू हो रही है, जो पूरी रात तक रहेगी, जबकि 1 नवंबर को सूर्यास्त के बाद अमावस्या समाप्त हो जाएगी। इसलिए, 31 अक्टूबर 2024 को दीपावली मनाना शास्त्रानुसार उचित है।
वाराणसी समयानुसार
31 अक्टूबर- वृष लग्न
घर की पूजा का समय- 18:06 से 20:04 तक
31 की रात्रि – सिंह लग्न
महानिशीथ काल- 00:35 से 02:49 तक
1 नवम्बर- कुम्भ लग्न
ऑफिस की पूजा- 13:25 से 14:56 तक
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