Vedeye Desk
आज मंगलवार को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन भगवान धनवंतरि, कुबेर और यम देव की पूजा की जाती है. इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज के निमित्त घर के बाहर दीया जलाया जाता है, जिसे यम दीपम भी कहा जाता है. त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ तो 29 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से होगा और इसका समापन 30 अक्टूबर बुधवार को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर रहेगा.
धनतेरस के मुहूर्त
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त – सायंकाल 05 बजकर 54 मिनट से रात्रि 08 बजकर 13 मिनट तक.
पूजा का अभिजीत मुहूर्त – दिन में 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक.
पूजा का गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 38 मिनट से शाम को 06 बजकर 04 मिनट तक.
रात्रि का चौघड़िया मुहूर्त – रात्रि 07 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 51 मिनट तक.
धनतेरस पर खरीदारी के दो मुहूर्त
खरीदारी का पहला त्रिपुष्कर योग – इस दिन यह योग सुबह 06 बजकर 31 से 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. मान्यता है कि इस योग में खरीदी गई वस्तुओं में तीन गुना बढ़ोतरी होती है.
दूसरा अभिजीत मुहूर्त – दिन में 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट के बीच खरीदारी करना सबसे शुभ रहेगा.
इस दिन सोने के आभूषण खरीदने की परंपरा है, सोना धन की देवी मां लक्ष्मी और देवगुरु बृहस्पति का प्रतीक है. इस दिन चांदी की खरीद भी की जानी चाहिए क्योंकि चांदी कुबेर देव की धातु है. चांदी खरीदने से घर में यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा में वृद्धि होती है. चांदी चंद्र ग्रह की धातु है जो जीवन में शीतलता और शांति को स्थापित करती है. पीतल के बर्तन को भगवान धन्वंतरि की धातु माना जाता है इसलिए इस दिन पीतल की वस्तु खरीदना चाहिए. इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य की शुभता आती है. पीतल भी देवगुरु की धातु है. इस दिन खड़ा धनिया खरीदना बहुत ही शुभ होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में किसान इसी दिन धनिया के नए बीज खरीदते हैं, वहीं शहरी क्षेत्र में पूजा के लिए साबुत धनिया खरीदी जाती है. धनिया भी बृहस्पति ग्रह का कारक है. इस दिन सूखे धनिया के बीज को पीसकर गुड़ के साथ मिलाकर नैवेद्य तैयार किया जाता है. धनिया को संपन्नता का प्रतीक माना जाता है और ऐसा करने से धन का नुकसान नहीं होता है. मान्यता है कि धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि के चरणों में धनिया चढ़ाने के बाद उनसे प्रार्थना करने से मेहनत का फल मिलता है और व्यक्ति तरक्की करता है. पूजा के बाद धनिया का प्रसाद बनता है, जिसे सब लोगों के बीच वितरित करना चाहिए.