Manas Manthan: समाधि भंग करने पर शिव जी ने कामदेव को जलाकर कर दिया राख, फिर उनकी पत्नी का विलाप सुन यह कैसा आश्वासन दिया

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Manas Manthan: कामदेव ने शिव जी के समक्ष पहुंच कर वही कार्य किया जो देवताओं ने उससे करने को कहा था. उसने कुछ ऐसी माया रची की समाधि में लीन महादेव की समाधि ही भंग हो गयी. इसके बाद भी वही हुआ जिसकी उसे पहले से आशंका थी. उसे अच्छी तरह से मालूम था कि भगवान शिव को समाधि से विचलित करने का सीधा अर्थ उसकी मौत है, जैसे ही उसने पांच तीखे बाण छोड़े, वह सीधे भगवान के हृदय में लगे और समाधि टूट गयी. उन्होंने सामने कामदेव को देखा जो हाथ जोड़ कर दंड पाने के लिए खड़ा था. उन्होंने क्रोध में अपनी तीसरी आंख खोली जिससे ऐसी ज्वाला निकली की क्षण भर में कामदेव जल कर भस्म हो गया.

कामदेव के राख बनने की सूचना पर बेहोश हो गयी रति

कामदेव का प्रभाव खत्म होते ही संसार में सब कुछ सामान्य होने लगा. योगी और तपस्वी योग व भगवान का स्मरण कर ध्यान लगाने लगे. काम के वशीभूत आम जन भी सामान्य हो कर कार्य करने लगे. इधर जैसे ही कामदेव की पत्नी रति को इस बात की जानकारी हुई कि शिव जी की समाधि तोड़ने पर भगवान ने उसके पति को दंड में मृत्यु दे दी है तो वह इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सकी और तुरंत ही बेहोश होकर गिर पड़ी. जैसे ही कुछ देर के बाद उसकी बेहोशी दूर हुई तो वह रोती बिलखती और पुकार करते हुए कैलास में शिव जी के सामने पहुंची और जोर जोर से रोने लगी. उसने कहा कि आपने मेरे पति को किस बात का दंड दिया है, अब विधवा अवस्था में मैं केसे जीवन यापन कर सकूंगी. 

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कामदेव के पुनर्जन्म का मिला आश्वासन

हर किसी पर कृपा करने से भगवान शंकर ने उस असहाय स्त्री को देखा तो उनके मन में उसके प्रति करुणा होने लगी. उन्होंने रति को सांत्वना देते हुए कहा कि उसके पति कामदेव को उसके गलत कार्य का फल मिला. संसार का नियम ही है ऐसा है कि कर्मों का फल तो भोगना ही पड़ता है. उन्होंने इसके साथ ही आश्वस्त किया कि अब तेरे स्वामी का नाम अनंग होगा अर्थात उसका शरीर नहीं होगा और बिना शरीर के वह सबके ऊपर छाया रहेगा. अब तुम्हारा अपने पति से मिलन तभी हो सकेगा जब यदुवंश में श्री कृष्ण का अवतार होगा. तब तेरा पति उनके पुत्र प्रद्युम्न के रूप में पैदा होगा. शिव जी के मुख से इतना सुन आश्वस्त हो कर रति वहां से चली गयी. 

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