शुक्रवार का व्रत करने वाले लोगों को मिलता है माता लक्ष्मी का आशीर्वाद, नहीं रहती है पैसों की कभी कमी..जाने व्रत के नियम और कथा

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Vedeye Desk

व्रत के नियम
वैभव लक्ष्मी का व्रत शुक्रवार के दिन किया जाता है। अपनी श्रद्धा अनुसार व्रतों की संख्या का संकल्प लेकर ही व्रत शुरू करना चाहिए. कम से कम 11 या 21 शुक्रवार की मन्नत मानी जाती है, और मन्नत पूरी होने के बाद कम से कम 7, 11, 21, 51, अथवा 101 महिलाओं को आमंत्रित कर वैभव लक्ष्मी व्रत की कथा का पाठ किया जाता है. उन्हें मीठा खिलाकर, व्रत विधि की पुस्तक और रोली का टीका लगाकर, नारियल का प्रसाद भेंट करना चाहिए. इस व्रत में पूरे दिन निराहार रहकर एक बार ही भोजन ग्रहण करना चाहिए.

व्रत कथा
किसी नगर में शीला नाम की एक धार्मिक स्त्री रहती थी. उसका पति भी विवेकवान व सहृदय व्यक्ति था, किंतु उसकी गलत संगत हो गई, जिससे वह शराब पीने और जुआ खेलने लगा. उसने सारी संपत्ति गंवा दी और गाली-गलौज करने लगा. इतना होने पर भी शीला पूजा-पाठ में लगी रही.

एक दिन दोपहर में किसी ने उसका दरवाजा खटखटाया. खोलने पर देखा कि एक तेजस्वी महिला खड़ी थी. शीला ने महिला को सम्मानपूर्वक अंदर बुलाया और चादर बिछाकर बैठा दिया. बैठते ही महिला बोली, “शीला, मुझे पहचाना नहीं?” शीला ने कहा, “मांजी, आपको देखकर शांति और प्रसन्नता हो रही है, तो लगता है आप वही हैं जिन्हें हम खोज रहे थे, फिर भी मैं पहचान नहीं पाई.” महिला ने कहा, “हर शुक्रवार लक्ष्मीजी के मंदिर में कीर्तन में मैं भी आती हूं. बीते कुछ समय से तुम्हारे पति के आचरण के कारण तुम नहीं आ रही थीं, इसलिए हालचाल लेने आ गई.” मांजी की प्रेमवाणी सुन शीला रोने लगी और उसने पति के बारे में पूरी बात बताई. महिला ने उसे वैभव लक्ष्मी व्रत करने का सुझाव दिया और विधि बताई.

शुक्रवार को व्रत करते हुए, सामने एक पाटे पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर, जल से भरे कलश को कटोरी से ढंक कर उसमें सोना, चांदी, या पैसा रखें. घी का दीपक जलाकर लक्ष्मी स्तवन का पाठ करें, और बाद में कटोरी में रखे सिक्के, हल्दी, कुमकुम, अक्षत और लाल पुष्प अर्पित करें. शाम को किसी मीठी चीज़ का भोग लगाएं. ऐसा करते हुए 11 या 21 शुक्रवार तक व्रत करने से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है.

शीला ने उसी समय व्रत करने का संकल्प लिया और अगले शुक्रवार को मां लक्ष्मी का जाप करते हुए विधि-विधान से व्रत कर स्वयं भी प्रसाद खाया और पति को भी खिलाया. पहले ही दिन के व्रत के प्रभाव से उसके पति के स्वभाव में अंतर आ गया. 21 शुक्रवार तक व्रत करने के बाद शीला ने बताई गई विधि के अनुसार उद्यापन किया.

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